
जोहरा सहगल: भारतीय सिनेमा की एक दिग्गज
जोहरा सहगल, भारतीय सिनेमा और थिएटर जगत का एक ऐसा नाम, जो प्रतिभा, साहस और जीवटता का पर्याय है। वे न केवल एक बेहतरीन अभिनेत्री थीं, बल्कि अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने वाली एक असाधारण महिला भी थीं। उनकी कहानी प्रेरणादायक है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो समाज की रूढ़ियों को तोड़कर आगे बढ़ना चाहती हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
27 अप्रैल 1912 को उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक मुस्लिम परिवार में जन्मीं, जोहरा का पूरा नाम साहिबजादी जोहरा मुमताज उल्लाह खान बेगम था। उनका बचपन उत्तराखंड के चकराता में बीता। बचपन में ही उन्होंने अपनी मां को खो दिया था, जिसका उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा।
जोहरा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई लाहौर के क्वीन मैरी कॉलेज से पूरी की, जो उस समय देश का पहला इंटरनेशनल स्कूल माना जाता था। उस दौर में लड़कियों को शिक्षा के लिए भेजना एक बड़ी बात थी, और जोहरा को यह अवसर मिलना उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और परिवार के प्रगतिशील दृष्टिकोण को दर्शाता है।
- शिक्षा का महत्व: जोहरा हमेशा से ही पढ़ाई में रुचि रखती थीं और आगे बढ़ना चाहती थीं।
- पारिवारिक समर्थन: उनके परिवार ने उनकी शिक्षा को प्रोत्साहित किया, जो उस समय में एक दुर्लभ बात थी।
यूरोप में नृत्य की शिक्षा
पढ़ाई पूरी करने के बाद, 1930 में जोहरा यूरोप चली गईं। उन्होंने जर्मनी के ड्रेसडेन में मेरी विगमैन के बैले स्कूल में तीन साल तक मॉडर्न डांस की शिक्षा ली। यह उस समय किसी भारतीय लड़की के लिए एक बहुत बड़ा कदम था। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से साबित कर दिया कि महिलाएं भी किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं।
नृत्य में करियर की शुरुआत
1935 में, जोहरा सहगल ने नृत्य गुरु उदय शंकर के साथ डांसर के तौर पर अपना करियर शुरू किया। उन्होंने जापान, मिस्र, यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में अपनी कला का प्रदर्शन किया। इसी दौरान उनकी मुलाकात कामेश्वर सहगल से हुई, जो एक वैज्ञानिक, डांसर और पेंटर थे।
कामेश्वर सहगल से प्रेम और विवाह
कामेश्वर, जोहरा से आठ साल छोटे थे और उनका धर्म भी अलग था। लेकिन जोहरा ने बिना किसी डर के उनसे शादी करने का फैसला किया। इस शादी को लेकर उनके परिवार में खूब विवाद हुआ, लेकिन उन्होंने किसी की परवाह नहीं की और अपने दिल की सुनी।
- सामाजिक विरोध: उनकी शादी को समाज में कई लोगों ने स्वीकार नहीं किया।
- जोहरा का साहस: उन्होंने समाज के विरोध के बावजूद अपने प्यार को चुना।
विशेषता | जोहरा सहगल | कामेश्वर सहगल |
---|---|---|
उम्र | बड़ी | छोटे |
धर्म | मुस्लिम | हिन्दू |
पेशा | डांसर, अभिनेत्री | वैज्ञानिक, डांसर, पेंटर |
लाहौर से मुंबई का सफर
शादी के बाद जोहरा अपने पति के साथ लाहौर चली गईं और वहां उन्होंने ‘जोहरा डांस इंस्टिट्यूट’ नाम से एक अकादमी शुरू की। लेकिन 1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद, लाहौर में दंगे भड़क उठे, जिसके कारण जोहरा को अपनी एक साल की बच्ची और पति के साथ मुंबई आना पड़ा।
मुंबई में अभिनय करियर
मुंबई में, जोहरा ने फिर से अपनी कला और अभिनय को आगे बढ़ाया। उन्होंने पृथ्वी थिएटर से जुड़कर रंगमंच में काम किया और फिर फिल्मी दुनिया में कदम रखा। उनकी पहली फिल्म 1946 में आई ‘धरती के लाल’ थी। इसके बाद उन्होंने चेतन आनंद की फिल्म ‘नीचा नगर’ में काम किया, जिसे कान फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार भी मिला।
फिल्मों में योगदान
जोहरा ने कई यादगार फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘दिल से’, ‘हम दिल दे चुके सनम’, ‘कभी खुशी कभी गम’, ‘वीर-जारा’ और ‘सांवरिया’ शामिल हैं। उन्होंने अपने अभिनय से हर किरदार में जान डाल दी।
सम्मान और पुरस्कार
जोहरा सहगल को अपने अभिनय और कला के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें संगीत नाटक अकादमी का भी सम्मान मिला।
- पद्म श्री
- पद्म भूषण
- पद्म विभूषण
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
जोहरा सहगल एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व थीं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा, साहस और जीवटता से लाखों लोगों को प्रेरित किया। वे हमेशा याद रहेंगी।