ज़ीनत अमान के साथ डेब्यू: ज़रीना वहाब का संघर्ष

ज़रीना वहाब: सांवले रंग से संघर्ष और सफलता की कहानी
ज़रीना वहाब, 80 के दशक की एक लोकप्रिय अभिनेत्री, जिन्होंने अपनी प्रतिभा और खूबसूरती से दर्शकों का दिल जीता। 17 जुलाई को अपना 66वां जन्मदिन मना रही हैं। जरीना वहाब का जीवन संघर्षों और सफलताओं से भरा रहा है। उन्होंने न केवल फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई, बल्कि सामाजिक रूढ़ियों को भी तोड़ा।
प्रारंभिक जीवन और करियर की शुरुआत
17 जुलाई 1959 को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में जन्मीं जरीना वहाब को हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और तेलुगू भाषाओं का अच्छा ज्ञान है। उन्होंने अपने करियर में ज्यादातर भावुक और गंभीर किरदार निभाए हैं। जरीना वहाब ने अपने करियर की शुरुआत जीनत अमान के साथ फिल्म ‘इश्क इश्क इश्क’ से की थी।
- अभिनय प्रशिक्षण: फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, पुणे
- पहली फिल्म: ‘इश्क इश्क इश्क’ (जीनत अमान के साथ)
- भाषा ज्ञान: हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, तेलुगू
सांवले रंग का सामना
जरीना वहाब को अपने करियर के शुरुआती दिनों में सांवले रंग की वजह से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्हें कई फिल्मों से रिजेक्ट कर दिया गया क्योंकि उस समय इंडस्ट्री में गोरे रंग को ज्यादा महत्व दिया जाता था। लेकिन जरीना ने हार नहीं मानी और अपनी प्रतिभा के दम पर इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई।
रंगभेद का दंश
जरीना वहाब ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें सांवले रंग की वजह से कई बार अपमानित होना पड़ा था। कुछ लोगों ने उन्हें ‘काली’ कहकर भी बुलाया था। लेकिन उन्होंने इन बातों को अपने दिल पर नहीं लिया और अपने काम पर ध्यान केंद्रित किया।
जया बच्चन की फिल्म से रिजेक्शन
यह भी कहा जाता है कि जरीना वहाब को एक बार जया बच्चन की फिल्म से भी रिजेक्ट कर दिया गया था क्योंकि फिल्म के निर्माता को उनके सांवले रंग से आपत्ति थी। यह घटना जरीना के लिए बहुत निराशाजनक थी, लेकिन उन्होंने इससे सबक लिया और आगे बढ़ने का फैसला किया।
आदित्य पंचोली से शादी
1986 में, जरीना वहाब ने जाने-माने अभिनेता आदित्य पंचोली से शादी की। उनके दो बच्चे हैं, सना और सूरज पंचोली। जरीना और आदित्य की शादी कई सालों तक चली, लेकिन बाद में दोनों अलग हो गए।
‘चितचोर’ से मिली पहचान
जरीना वहाब को इंडस्ट्री में बड़ी पहचान फिल्म ‘चितचोर’ से मिली। राजश्री प्रोडक्शन की इस फिल्म में जरीना के काम को काफी पसंद किया गया। इसके बाद उन्होंने ‘घरौंदा’, ‘अनपढ़’, ‘सावन को आने दो’, ‘नैया’, ‘सितारा’ और ‘तड़प’ जैसी कई शानदार फिल्मों में काम किया।
फिल्म | भूमिका | वर्ष |
---|---|---|
चितचोर | गीता | 1976 |
घरौंदा | सुधा | 1977 |
सावन को आने दो | गौरी | 1979 |
तड़प | सुमित्रा | 1982 |
सामाजिक योगदान
जरीना वहाब ने कई सामाजिक कार्यों में भी भाग लिया है। उन्होंने गरीब बच्चों की शिक्षा और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम किया है। जरीना वहाब एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं जिन्होंने अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी प्रतिभा और मेहनत से इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई और लोगों के दिलों में जगह बनाई।
जरीना वहाब की प्रेरणादायक यात्रा
जरीना वहाब की कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें कभी भी अपने सपनों को नहीं छोड़ना चाहिए, चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं। हमें हमेशा अपने आप पर विश्वास रखना चाहिए और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। जरीना वहाब आज भी फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं और अपनी प्रतिभा से दर्शकों का मनोरंजन कर रही हैं।