सांपों का मेला: समस्तीपुर में अनोखा दृश्य!

समस्तीपुर का अनोखा सांपों का मेला
बिहार के समस्तीपुर जिले में, विभूतिपुर प्रखंड के सिंधिया घाट पर, एक ऐसा मेला लगता है जो देखने वालों के रोंगटे खड़े कर देता है। यह मेला नागपंचमी के दिन आयोजित होता है और इसमें लोग जहरीले सांपों के साथ खेलते हैं। वे सांपों को गले में लटकाते हैं, मुंह में दबाते हैं, और बूढ़ी गंडक नदी में डुबकी लगाकर मां भगवती की पूजा करते हैं।
रोमांच और आस्था का संगम
इस मेले में न तो सांपों के डंसने का डर होता है और न ही काटने का भय। हजारों लोग सांपों के साथ करतब दिखाते हैं, और यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो जाता है। यह 300 साल पुरानी मिथिला परंपरा आस्था, साहस और रोमांच का एक अनोखा संगम है।
मेले की शुरुआत और परंपरा
सिंधिया घाट पर लगने वाला यह मेला समस्तीपुर शहर से 23 किमी दूर बूढ़ी गंडक नदी के किनारे आयोजित होता है। मेले की शुरुआत सिंघिया बाजार के मां भगवती मंदिर में पूजा-अर्चना से होती है। इसके बाद भक्त सांपों को टोकरियों में लेकर सिंधिया घाट पहुंचते हैं, जहां वे नदी में डुबकी लगाते हैं और विषहरी माता व नाग देवता की पूजा करते हैं।
सांपों के साथ करतब
लोग जहरीले सांपों, जैसे कोबरा और करैत, को गले में लटकाते हैं, बाजुओं पर लपेटते हैं, और यहां तक कि मुंह में पकड़कर हैरतअंगेज करतब दिखाते हैं। पूजा के बाद इन सांपों को जंगल में छोड़ दिया जाता है।
मनोकामना पूर्ति
स्थानीय मान्यता है कि इस पूजा से मांगी गई मुरादें पूरी होती हैं, खासकर वंश वृद्धि और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए। महिलाएं विशेष रूप से इस मेले में हिस्सा लेती हैं और परिवार की तरक्की के लिए मन्नत मांगती हैं। मन्नत पूरी होने पर वे गहवर में प्रसाद चढ़ाती हैं।
मिथिला की 300 साल पुरानी विरासत
यह मेला मिथिला क्षेत्र की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का हिस्सा है, जो लगभग 300 साल पुराना है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह परंपरा नाग देवता और मां विषहरी के प्रति आस्था का प्रतीक है। समस्तीपुर के अलावा खगड़िया, सहरसा, बेगूसराय और मुजफ्फरपुर जैसे जिलों से भी हजारों लोग इस मेले में शामिल होने आते हैं। मेले में एक किलोमीटर लंबी कतार देखी जाती है, जिसमें बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सांपों को गले में लटकाए नजर आते हैं।
सांपों के मेले का महत्व
यह मेला न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देता है। मेले में दुकानें और स्टॉल लगते हैं, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है। यह मेला क्षेत्र की संस्कृति और परंपरा को भी बढ़ावा देता है।
विशेषता | विवरण |
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स्थान | सिंधिया घाट, समस्तीपुर, बिहार |
समय | नागपंचमी |
महत्व | धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक |
आकर्षण | सांपों के साथ करतब, विषहरी माता की पूजा |
निष्कर्ष
समस्तीपुर का सांपों का मेला एक अनूठा और रोमांचक अनुभव है। यह मेला आस्था, साहस और परंपरा का प्रतीक है। यदि आप बिहार की संस्कृति और परंपरा को करीब से देखना चाहते हैं, तो आपको इस मेले में जरूर जाना चाहिए।