मध्य प्रदेश

सागौन की खेती: अब आसान, तेज़ विकास, बेहतर कमाई

सागौन की खेती: आधुनिक तकनीक से आसान और लाभकारी

आज के समय में, जब पारंपरिक खेती से मुनाफा कम हो रहा है, सागौन की खेती किसानों के लिए एक आशाजनक विकल्प बनकर उभरी है। यह न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से भी सशक्त बना सकती है। अब सागौन के पौधे बीज से नहीं, बल्कि रूटसूट विधि से लगाए जा रहे हैं, जिससे उनका विकास तेजी से होता है और उत्पादन बेहतर मिलता है।

रूटसूट विधि क्यों है ज़रूरी?

रूटसूट विधि से तैयार पौधे तेज़ी से बढ़ते हैं और उनकी देखभाल भी आसान होती है। किसान अपनी कृषि भूमि की मेड़ों पर या ऐसी भूमि पर जहाँ खेती नहीं होती, वहाँ सागौन के रूटसूट पौधे लगाकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं।

  • तेज़ विकास
  • आसान देखभाल
  • अतिरिक्त आय का स्रोत

सागौन: इमारती लकड़ी की रानी

सागौन की लकड़ी को इमारती लकड़ी कहा जाता है। बाजार में इसकी कीमत ₹3500 से ₹5500 प्रति घन फुट तक है। एक घन मीटर सागौन की लकड़ी की कीमत लगभग 1.30 लाख तक पहुँच जाती है। 10 से 15 वर्षों में, किसान अपनी जमीन के किनारों पर लगाए गए सागौन से अच्छी कमाई कर सकते हैं।

रूटसूट पौधे कैसे तैयार करें?

अप्रैल से मई के बीच सागौन के उपचारित बीजों को मदर्स बेड में बोया जाता है। बीजों के अंकुरित होने के बाद, नियमित सिंचाई और खाद-कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है। जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत में, पौधे को जड़ से उखाड़कर रूटसूट बनाया जाता है। इसे बाविस्टिन फंगीसाइड में डुबोकर पॉलीपॉट में शिफ्ट किया जाता है। पॉलीपॉट में मिट्टी, वर्मी कम्पोस्ट और खाद का मिश्रण तैयार किया जाता है, जिससे पौधा तेजी से बढ़ सके। गर्मी से बचाने के लिए, पौधों को घास या पैरा की शेड से ढका जाता है और सिंचाई की जाती है। 7 से 10 दिनों में पौधे से नई पत्तियाँ निकलने लगती हैं और एक महीने में वह 1 से 1.5 फीट तक हो जाता है।

  • बीज का उपचार
  • नियमित सिंचाई और खाद
  • पॉलीपॉट में स्थानांतरण
  • गर्मी से सुरक्षा

रूटसूट तैयार करने की प्रक्रिया:

चरण विवरण
1 अप्रैल-मई में बीजों को बोना
2 नियमित सिंचाई और खाद डालना
3 जनवरी-फरवरी में रूटसूट बनाना
4 पॉलीपॉट में लगाना

रोपण कब और कैसे करें?

मार्च-अप्रैल में गड्ढे खोद लेने चाहिए और पहली बारिश में रूटसूट पौधे लगाए जा सकते हैं। एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी कम से कम 10 फीट होनी चाहिए, ताकि विकास में कोई बाधा न आए और तने की मोटाई पर्याप्त हो। यह दूरी पौधों के बीच हवा और धूप के संचार को भी बेहतर बनाती है, जिससे पौधा स्वस्थ रहता है।

  • मार्च-अप्रैल में गड्ढे खोदें
  • 10 फीट की दूरी रखें
  • पहली बारिश में रोपण करें

देखरेख और रखरखाव

सागौन रूटसूट पौधों की नियमित निगरानी ज़रूरी है। यदि किसी पौधे पर कीट हमला करते हैं, तो उचित दवाओं का छिड़काव किया जाना चाहिए। प्रति पौधा 2 किलो वर्मी कम्पोस्ट या सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग किया जाए। पौधे के चारों ओर फेंसिंग की जाए, ताकि जानवरों से उसकी सुरक्षा हो सके और सिंचाई की नियमित व्यवस्था बनी रहे।

  • नियमित निगरानी
  • कीट नियंत्रण
  • उर्वरक का प्रयोग
  • बाड़ लगाना

भविष्य बदल सकता है

सागौन के रूटसूट पौधे लगाकर किसान 10 से 15 वर्षों में लाखों की कमाई कर सकते हैं। जहाँ खेती का रिटर्न घटता जा रहा है, वहीं इस तरह की दीर्घकालिक योजना किसानों के लिए लाभदायक हो सकती है। खासकर सतना और बघेलखंड जैसे क्षेत्रों में, जहाँ जमीन की उपलब्धता अधिक है, यह खेती ग्रामीण युवाओं के लिए एक नया अवसर बन सकती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button