
बालाघाट: पुल बना, सड़क लापता – ग्रामीणों की दुर्दशा
मध्य प्रदेश में सड़कों की हालत किसी से छिपी नहीं है। गड्ढों में सड़क है या सड़क में गड्ढे, यह कहना मुश्किल है। लेकिन बालाघाट जिले के बड़पानी गांव की कहानी और भी दर्दनाक है। यहां बावनथड़ी नदी पर बना पुल ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गया है, क्योंकि पुल तो बन गया, लेकिन सड़क बनाना कोई भूल गया!
पुल का निर्माण और दुर्दशा
2020 में पुल बनकर तैयार हुआ, लेकिन उद्घाटन से पहले ही बारिश में धराशायी हो गया। 2021 में इसे फिर से बनाया गया, रेलिंग भी लगाई गई, जो रातोंरात गायब हो गई! अब पुल पर गड्ढे हैं और सबसे बड़ी समस्या है पुल को जोड़ने वाली सड़क का न होना।
- पुल का निर्माण 2020 में पूरा हुआ।
- उद्घाटन से पहले ही बारिश में पुल धराशायी।
- 2021 में फिर से पुल का निर्माण।
- साइड रेलिंग रातोंरात गायब।
जर्जर सड़क: ग्रामीणों का दर्द
पुल से गांव तक जाने वाली सड़क लगभग 2 किलोमीटर तक पूरी तरह से जर्जर है। बारिश में कीचड़ भर जाता है, जिससे चलना मुश्किल हो जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर कोई गिर गया तो गंभीर चोट लग सकती है।
सड़क की स्थिति
- 2 किलोमीटर सड़क जर्जर।
- बारिश में कीचड़।
- चलना दूभर।
दो दर्जन गांवों के लिए महत्वपूर्ण
यह सड़क लगभग दो दर्जन गांवों के लोगों के लिए बहुत जरूरी है। बोनकट्टा पुल बंद होने से इस पुल पर दबाव बढ़ गया है, लेकिन खराब सड़क के कारण लोगों को परेशानी हो रही है। इस पुल से ग्रामीण महाराष्ट्र के तुमसर, भंडारा, रामटेक और नागपुर की ओर जाते हैं। प्रतिदिन लगभग 400 वाहन इस पुल से गुजरते हैं।
विशेषता | विवरण |
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गांवों की संख्या | 2 दर्जन |
महाराष्ट्र के शहर | तुमसर, भंडारा, रामटेक, नागपुर |
प्रतिदिन वाहन | लगभग 400 |
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को सड़क पर ध्यान देना चाहिए। पुल तो बन गया, लेकिन सड़क न बनने से उन्हें परेशानी हो रही है। वे चाहते हैं कि सरकार या तो बाईपास बनाए या सड़क का चौड़ीकरण करके इसका निर्माण कराए।
सरपंच की गुहार
ग्राम पंचायत बड़पानी के सरपंच दीपक गभने ने बताया कि उन्होंने विधायक और संबंधित विभाग को सड़क की समस्या के बारे में सूचित किया है। उन्होंने पीडब्ल्यूडी को भी आवेदन दिया है और अब मंत्री राकेश सिंह को आवेदन देने की तैयारी है।