मुबारक बेगम: 175+ गाने, लता को टक्कर, गुमनाम जीवन

मुबारक बेगम: एक गुमनाम सितारा
हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम युग, 1950 से 1970 के दशक में, लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी जैसे दिग्गजों के बीच, एक और आवाज थी जिसने अपनी पहचान बनाई – मुबारक बेगम। उनकी आवाज में गज़लों की गहराई और भावनाओं का सागर था, जो श्रोताओं की आत्मा को छू जाता था। उन्होंने 175 से ज्यादा गाने गाए, लेकिन गुमनामी में खो गईं।
प्रारंभिक जीवन और संगीत की शिक्षा
मुबारक बेगम का जन्म 5 जनवरी 1936 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के सुजानगढ़ कस्बे में हुआ था। उनका बचपन गरीबी में बीता, जिसके कारण उन्हें औपचारिक शिक्षा नहीं मिल पाई। हालांकि, संगीत के प्रति उनका रुझान बचपन से ही था। उन्होंने किराना घराने के उस्ताद रियाजुद्दीन खान और उस्ताद समद खान से संगीत की शिक्षा ली, जिसने गायन के प्रति उनके जुनून को और बढ़ाया।
करियर की शुरुआत और सफलता
मुबारक बेगम ने अपने करियर की शुरुआत ऑल इंडिया रेडियो से की। उनकी आवाज ने जल्द ही संगीतकारों का ध्यान आकर्षित किया, और उन्हें बॉलीवुड से प्रस्ताव मिलने लगे। 1949 में, उन्हें फिल्म ‘आइए’ में पहला मौका मिला, जहां उन्होंने ‘मोहे आने लगी अंगड़ाई, आजा आजा’ गीत गाया। इस फिल्म में उन्होंने लता मंगेशकर के साथ एक युगल गीत भी गाया।
1950 और 1960 के दशक में, मुबारक बेगम ने एस.डी. बर्मन, शंकर जयकिशन और खय्याम जैसे प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया। उनका सबसे प्रसिद्ध गाना ‘कभी तन्हाइयों में यूं, हमारी याद आएगी’ 1961 में आई फिल्म ‘हमारी याद आएगी’ का है। इस गीत को आज भी याद किया जाता है। उन्होंने ‘मुझको अपने गले लगा लो, ओ मेरे हमराही’ (फिल्म हमराही, 1963), ‘हम हाल-ए-दिल सुनाएंगे’ (मधुमति, 1958) और ‘वादा हमसे किया, दिल किसी को दिया’ (सरस्वतीचंद्र) जैसे कई यादगार गाने गाए।
गुमनामी और अंतिम दिन
मुबारक बेगम ने 1950 से 1970 के दशक के बीच 115 से अधिक फिल्मों में 175 से ज्यादा गाने गाए, जिनमें से कई आज भी लोकप्रिय हैं। हालांकि, उनके करियर को फिल्म उद्योग की राजनीति और गुटबाजी ने प्रभावित किया। धीरे-धीरे उन्हें काम मिलना कम हो गया, और वे गुमनामी के अंधेरे में खो गईं।
अपने जीवन के अंतिम वर्ष उन्होंने गरीबी में बिताए। एक समय था जब वे आर्थिक तंगी से जूझ रही थीं, लेकिन उन्होंने कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया। 18 जुलाई 2016 को 80 वर्ष की आयु में मुंबई में उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु के साथ, हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम युग की एक और आवाज खामोश हो गई।
मुबारक बेगम के यादगार गाने
गाना | फिल्म | संगीतकार |
---|---|---|
कभी तन्हाइयों में यूं, हमारी याद आएगी | हमारी याद आएगी | मदन मोहन |
मुझको अपने गले लगा लो, ओ मेरे हमराही | हमराही | शंकर जयकिशन |
हम हाल-ए-दिल सुनाएंगे | मधुमति | सलिल चौधरी |
वादा हमसे किया, दिल किसी को दिया | सरस्वतीचंद्र | कल्याणजी-आनंदजी |
विरासत
मुबारक बेगम भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज हमेशा हमारे दिलों में गूंजती रहेगी। वे एक प्रतिभाशाली गायिका थीं, जिन्होंने अपनी कला से लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध किया। उन्हें हमेशा हिंदी सिनेमा के एक गुमनाम सितारे के रूप में याद किया जाएगा।
योगदान
मुबारक बेगम का भारतीय सिनेमा में बहुत बड़ा योगदान था। उन्होंने कई नए गायकों के लिए प्रेरणा का काम किया। आज भी उनके गाने लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।