मखाना की खेती: MP में बिहार को टक्कर, सब्सिडी!

मध्य प्रदेश में मखाना की खेती: किसानों के लिए सुनहरा अवसर
मध्य प्रदेश के किसान अब खेती में नवाचार करने के लिए उत्साहित हैं, और मखाना की खेती एक ऐसा ही अवसर लेकर आई है. सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है.
मखाना की खेती: एक परिचय
मखाना, जिसे अंग्रेजी में फॉक्स नट (Fox nut) भी कहा जाता है, एक जलीय फसल है. इसकी खेती जलमग्न क्षेत्रों में की जाती है. बिहार में इसकी खेती व्यापक रूप से होती है, और अब मध्य प्रदेश भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है.
मध्य प्रदेश में मखाना की खेती की शुरुआत
नर्मदापुरम जिले से मखाना की खेती की शुरुआत हो रही है. यहां के किसान गेहूं, चना, और धान के साथ-साथ अब मखाने की खेती भी करेंगे. उद्यानिकी विभाग किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित कर रहा है.
किसानों को प्रशिक्षण और सब्सिडी
मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए, उद्यानिकी विभाग किसानों को दरभंगा में प्रशिक्षण के लिए भेज रहा है. इसके अलावा, सरकार किसानों को सब्सिडी भी देगी.
मखाना की खेती के लाभ
- कम लागत, अधिक मुनाफा
- खेती में विविधता
- किसानों की आय में वृद्धि
- पलायन रोकने में सहायक
मखाना की खेती की तकनीक
मखाने की खेती के लिए जलमग्न भूमि उपयुक्त होती है. फरवरी-मार्च में रोपाई की जाती है, और कटाई अक्टूबर-नवंबर में होती है. रोपाई के समय कम से कम 4 फीट पानी भरा रहना आवश्यक है.
मखाना की खेती में लागत और मुनाफा
प्रति हेक्टेयर मखाने की खेती में लगभग 80 हजार रुपये की लागत आती है, और इससे लगभग डेढ़ लाख रुपये तक का मुनाफा कमाया जा सकता है. देश में मखाने की मांग तेजी से बढ़ रही है, और निर्यात की संभावनाएं भी अच्छी हैं.
मखाना की खेती: किसानों के लिए वरदान
जिन किसानों को खेती में घाटा हो रहा है, उनके लिए मखाना की खेती एक वरदान साबित हो सकती है. कम लागत और अधिक मुनाफे के कारण, यह किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बना सकती है.
मखाना की खेती से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी
विशेषता | विवरण |
---|---|
रोपाई का समय | फरवरी-मार्च |
कटाई का समय | अक्टूबर-नवंबर |
आवश्यक पानी | कम से कम 4 फीट |
प्रति हेक्टेयर लागत | लगभग 80 हजार रुपये |
प्रति हेक्टेयर मुनाफा | लगभग डेढ़ लाख रुपये |
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश में मखाना की खेती किसानों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है. सरकार के प्रोत्साहन और किसानों की मेहनत से, यह खेती निश्चित रूप से सफल होगी और किसानों की आय में वृद्धि करेगी।