महेश्वर बांध: अरबों का प्रोजेक्ट फेल, अब नीलाम!

महेश्वर बांध परियोजना: एक ग्राउंड रिपोर्ट
खरगोन में महत्वाकांक्षी परियोजना का दुखद अंत
मध्य प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना, जिसका हजारों लोग वर्षों से इंतजार कर रहे थे, अंततः विफल हो गई है। खरगोन जिले के मंडलेश्वर क्षेत्र में नर्मदा नदी पर बनी महेश्वर जल विद्युत परियोजना, जो 32 साल पहले शुरू हुई थी, अब बंद हो जाएगी और इसकी संपत्ति नीलाम की जाएगी। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने यह फैसला सुनाया है।
- परियोजना की शुरुआत: 1992-93
- उद्देश्य: 400 मेगावाट बिजली उत्पादन
- प्रारंभिक लागत: लगभग 400 करोड़ रुपये
- अंतिम लागत: लगभग 7000-8000 करोड़ रुपये
NCLT का फैसला: नीलामी का आदेश
NCLT की इंदौर पीठ ने महेश्वर बांध प्रोजेक्ट को पूरी तरह बंद करने और बांध के ढांचे, टरबाइन, अधिग्रहित जमीन सहित लगभग 6000 करोड़ रुपये की संपत्ति को नीलाम करने का फैसला दिया है। इस फैसले से मध्य प्रदेश सरकार को बड़ा झटका लगा है, साथ ही उन हजारों लोगों की उम्मीदें भी टूट गई हैं जो इस बांध से रोजगार की उम्मीद लगाए बैठे थे।
संपत्ति का नीलामी और ऋण का भुगतान
बांध की पूरी संपत्ति को नीलाम करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी। संपत्ति का आकलन किया जाएगा और फिर एक-एक करके सभी चीजों की नीलामी की जाएगी। इस नीलामी से मिलने वाली राशि का उपयोग उन कंपनियों का कर्ज चुकाने के लिए किया जाएगा जिन्होंने इस प्रोजेक्ट में पैसा लगाया था। 17 से अधिक कंपनियों ने इस परियोजना में निवेश किया था, लेकिन परियोजना पूरी नहीं हो सकी।
कंपनी का नाम | निवेश की राशि (अनुमानित) |
---|---|
पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन | अज्ञात |
आरईसी लिमिटेड | अज्ञात |
भारतीय जीवन बीमा निगम | अज्ञात |
आईडीबीआई बैंक | अज्ञात |
बैंक ऑफ बड़ौदा | अज्ञात |
हुडको | अज्ञात |
एडलवाइस एआरसी | अज्ञात |
एसबीआई | अज्ञात |
परियोजना में विफलता के कारण
- विलंब और लागत में वृद्धि: निर्माण कंपनी एस कुमार्स शुरू से ही विवादों में रही, जिससे परियोजना में कई बार रुकावट आई और लागत बढ़ती गई।
- पुनर्वास में विफलता: बांध के शुरू नहीं होने का सबसे बड़ा कारण डूब प्रभावित गांवों का पुनर्वास नहीं हो पाना था। लगभग 61 गांवों के लोगों को मुआवजा नहीं मिला और वे अभी भी प्रभावित क्षेत्रों में निवास कर रहे हैं।
- नर्मदा बचाओ आंदोलन: नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेघा पाटकर ने बांध शुरू करने से पहले प्रभावित लोगों को मुआवजा और पुनर्वास की मांग को लेकर आंदोलन किया, जिसके कारण परियोजना में और देरी हुई।
2016 के बाद कोई काम नहीं
2016 में इस प्रोजेक्ट पर अंतिम बार मेंटेनेंस का काम हुआ था। उसके बाद से इस प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं हुआ, जबकि यह प्रोजेक्ट बिजली बनाने की क्षमता रखता था।
NCLT में याचिका और समाधान की तलाश
2022 में, पावर फाइनेंस कंपनी की याचिका पर ट्रिब्यूनल में सुनवाई हुई। समाधान के लिए एक टीम नियुक्त की गई, लेकिन 28 महीनों में कोई समाधान नहीं निकला। अंततः, ट्रिब्यूनल ने परियोजना की संपत्ति को नीलाम करने का फैसला सुनाया।
प्रभावित कंपनियाँ
इस परियोजना में पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन, आरईसी लिमिटेड, भारतीय जीवन बीमा निगम, आईडीबीआई बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, हुडको, एडलवाइस एआरसी, एसबीआई, जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, ओरिएंटल इंश्योरेंस, न्यू इंडिया एश्योरेंस समेत 17 से ज्यादा कंपनियों का पैसा फंसा हुआ है। नीलामी राशि से इन कंपनियों का पैसा लौटाया जाएगा।