
विंध्य की खास मिठाई: लवाबजा – स्वाद का अनोखा संगम
विंध्य क्षेत्र अपनी अनूठी संस्कृति, रहन-सहन और खानपान के लिए जाना जाता है। यहां का सुंदरजा आम दुनिया भर में मशहूर है, तो वहीं मिठाइयों में खुरचन का नाम सबसे पहले आता है। आज हम आपको विंध्य की एक और ऐसी ही खास मिठाई के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे लवाबजा के नाम से जाना जाता है। यह मिठाई आज भी विंध्य की रसोइयों में राज करती है।
लवाबजा: विंध्य वालों की खास पसंद
अगर आप मीठा खाने के शौकीन हैं, तो लवाबजा आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि आसानी से पच भी जाता है। सेहत के लिए यह एक वरदान है, और यही इसकी खास पहचान है। विंध्य क्षेत्र में लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं।
लवाबजा: सामा की खीर
लवाबजा को सामा या समा की खीर भी कहा जाता है। सामा एक प्रकार का मोटा अनाज है, जिसका औषधीय महत्व भी है। यह पाचन क्रिया में बहुत आसान होता है।
सामा के फायदे:
- पाचन में आसान: सामा आसानी से पच जाता है, इसलिए यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी उपयुक्त है।
- पौष्टिक: सामा में प्रोटीन, फाइबर और अन्य पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
- व्रत के लिए उपयुक्त: सामा व्रत के दौरान खाया जा सकता है, क्योंकि यह अनाज का एक अच्छा विकल्प है।
लवाबजा बनाने की विधि
लवाबजा बनाने के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
- 5 किलो दूध (देसी दूध बेहतर)
- 1/2 किलो सामा
- 1.25 किलो शक्कर (स्वादानुसार)
- इलायची पाउडर
- मावा
- केसर
- ड्राई फ्रूट्स (बादाम, काजू, किशमिश)
- घी
बनाने की प्रक्रिया:
- सबसे पहले सामा को 2-3 बार साफ पानी से धो लें और आधा घंटे के लिए भिगो दें।
- ड्राई फ्रूट्स को छोटे टुकड़ों में काट लें और घी में फ्राई कर लें।
- दूध को उबालने के लिए रखें।
- जब दूध गरम हो जाए, तो उसमें भीगा हुआ सामा डाल दें।
- एक बड़े चम्मच से चलाते रहें।
- जब दूध और सामा अच्छी तरह पक जाएं, तो उसमें शक्कर डाल दें।
- इलायची पाउडर, मावा और केसर डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
- कम से कम 15 मिनट तक धीमी आंच पर चम्मच से चलाते रहें।
- ठंडा होने पर ड्राई फ्रूट्स से सजाकर सर्व करें।
लवाबजा: शादियों की खास डिश
लवाबजा विंध्य क्षेत्र की शादियों और अन्य समारोहों में खास तौर पर बनाया जाता है। यह एक स्वादिष्ट और पौष्टिक मिठाई है, जिसे हर कोई पसंद करता है। इसे बनाना भी बहुत आसान है, इसलिए लोग इसे घरों में भी अक्सर बनाते हैं।
सामा: एक मोटा अनाज
सामा एक प्रकार का मोटा अनाज है, जिसकी खेती विंध्य क्षेत्र में भी होती है। यह अनाज पोषक तत्वों से भरपूर होता है और सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
सामा की खेती:
विशेषता | विवरण |
---|---|
जलवायु | विंध्य क्षेत्र का तापमान उपयुक्त |
बारिश | 50 से 60% |
मिट्टी | 6.5 पिच वाली हल्की और दोमट मिट्टी |
सामा के पोषक तत्व
सामा में पोषक तत्वों की भरमार होती है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
- 100 ग्राम सामा में:
- 10 ग्राम प्रोटीन
- 65 ग्राम कार्बोहाइड्रेट
- 2 ग्राम फैट
- 6 ग्राम फाइबर
सामा: सेहत के लिए फायदेमंद
सामा सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह आसानी से पच जाता है, इसलिए यह महिलाओं के लिए व्रत के दौरान एक अच्छा विकल्प है। इसके अलावा, सामा कैलोरी डिफिशिएंट डाइट है, इसलिए डायबिटिक लोग भी इसका सेवन कर सकते हैं।
सामा: अन्य नाम
सामा को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे:
- समाई
- सांवा
- सावा मिलट
- जंगल राइस
- वराई
- व्रत वाले चावल
सामा की खेती
सामा की खेती मुख्य रूप से उत्तराखंड, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु और अन्य नॉर्थ ईस्ट स्टेट में होती है। विंध्य क्षेत्र में भी इसकी खेती के लिए उपयुक्त तापमान है।
निष्कर्ष
लवाबजा विंध्य क्षेत्र की एक स्वादिष्ट और पौष्टिक मिठाई है। यह सामा नामक मोटे अनाज से बनाई जाती है, जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। अगर आप विंध्य क्षेत्र में हैं, तो इस मिठाई का स्वाद जरूर लें!