कांगड़ा की बेटी प्रियंका ठाकुर: दिव्यांगता से जज तक

प्रियंका ठाकुर: दिव्यांगता से सिविल जज बनने तक की प्रेरणादायक कहानी
कांगड़ा की बेटी प्रियंका ठाकुर ने साबित कर दिया कि प्रतिभा और लगन के आगे विकलांगता भी हार मान जाती है। हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त कर उन्होंने सिविल जज बनकर अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया है। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
प्रियंका ठाकुर कांगड़ा जिले के इंदौरा तहसील के वडाला गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता, सुरजीत सिंह, बीएसएफ से इंस्पेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, और उनकी माता, सृष्टा देवी, गृहिणी हैं। प्रियंका ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र से एलएलबी की परीक्षा पास की और फिर वहीं से एलएलएम की डिग्री हासिल की। उन्होंने कानून में पीएचडी भी की है।
- शिक्षा: एलएलबी, एलएलएम, पीएचडी (कानून)
- अन्य योग्यताएँ: यूजीसी नेट उत्तीर्ण
न्यायिक सेवा में सफलता
हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित न्यायिक सेवा परीक्षा में प्रियंका ने दसवां स्थान प्राप्त किया। यह उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का परिणाम है। उन्होंने न केवल परीक्षा में सफलता प्राप्त की, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि दृढ़ संकल्प के साथ किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
प्रियंका ठाकुर का संदेश
प्रियंका ठाकुर का कहना है कि यदि दृढ़ निश्चय हो तो एक न एक दिन कामयाबी जरूर मिलती है। उनका मानना है कि बेटियों और दिव्यांगों को कमजोर नहीं समझना चाहिए। यदि उन्हें परिवार, समाज और शिक्षकों का सहयोग मिले तो वे किसी भी मुकाम तक पहुंच सकती हैं।
हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा परिणाम
हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 10 पदों के लिए 5 से 7 दिसंबर तक साक्षात्कार आयोजित किए थे। इस परीक्षा में चुनौती सगरोली ने पहला स्थान प्राप्त किया, जबकि प्रवीण लाटा दूसरे स्थान पर रहे। दिव्या शर्मा ने तीसरा स्थान हासिल किया।
सफल उम्मीदवारों की सूची:
- चुनौती सगरोली (प्रथम)
- प्रवीण लाटा (द्वितीय)
- दिव्या शर्मा (तृतीय)
- शाविक घई
- अनुलेखा तंवर
- मेघा शर्मा
- शीतल गुप्ता
- रितु सिन्हा
- श्रुति बंसल
- प्रियंका देवी
विस्तृत विश्लेषण
प्रियंका ठाकुर की सफलता की कहानी कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक भी है। उन्होंने रूढ़िवादी सोच को चुनौती दी है और यह साबित कर दिया है कि महिलाएं और दिव्यांगजन किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं।
विशेषता | विवरण |
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नाम | प्रियंका ठाकुर |
पद | सिविल जज |
जिला | कांगड़ा |
शिक्षा | एलएलबी, एलएलएम, पीएचडी |
प्रेरणादायक पहलू
प्रियंका ठाकुर की कहानी हमें सिखाती है कि कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन हों, हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। उनकी सफलता उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं।
भविष्य की योजनाएं
सिविल जज के रूप में, प्रियंका ठाकुर का उद्देश्य न्याय और समानता को बढ़ावा देना है। वह समाज के कमजोर वर्गों की मदद करना चाहती हैं और यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि सभी को न्याय मिले। उनकी भविष्य की योजनाएं समाज के लिए सकारात्मक बदलाव लाने पर केंद्रित हैं।
निष्कर्ष
प्रियंका ठाकुर की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। उनकी सफलता न केवल उनके लिए बल्कि पूरे समाज के लिए गर्व की बात है।