धीरेंद्र शास्त्री: लंदन में हनुमान चालीसा का पाठ

धीरेंद्र शास्त्री का लंदन दौरा: ब्रिटिश संसद में हनुमान चालीसा का पाठ
बागेश्वर धाम के संत धीरेंद्र शास्त्री का लंदन दौरा आजकल चर्चा में है। उन्होंने ब्रिटिश संसद में पहली बार हनुमान चालीसा का पाठ करके इतिहास रचा। यह एक अभूतपूर्व घटना थी जिसने भारतीय समुदाय में उत्साह और गर्व की लहर पैदा कर दी।
ब्रिटिश संसद में गूंजी हनुमान चालीसा
धीरेंद्र शास्त्री ने लंदन की संसद में हनुमान चालीसा का पाठ करके सनातन धर्म की आवाज को बुलंद किया। इस ऐतिहासिक क्षण में, विभिन्न देशों से आए हिंदू समुदाय के लोग संसद में उपस्थित थे।
एक ऐतिहासिक पहल
ब्रिटिश संसद में हनुमान चालीसा का पाठ एक ऐतिहासिक पहल थी। इसने भारतीय संस्कृति और धर्म को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया।
- यह पहली बार था जब ब्रिटिश संसद में किसी भारतीय धार्मिक पाठ का पाठ किया गया।
- इस घटना ने भारतीय प्रवासियों में गर्व की भावना जगाई।
भारतीय और पाकिस्तानी प्रवासियों के साथ संवाद
धीरेंद्र शास्त्री ने कार्यक्रम के दौरान ब्रिटेन में बसे भारतीय और पाकिस्तानी मूल के नागरिकों के साथ संवाद किया। उन्होंने धर्म, आस्था, सनातन परंपरा और सामाजिक समरसता से जुड़े सवालों के जवाब दिए।
सवालों के जवाब
दोनों समुदायों के लोगों ने शास्त्री जी के शांत, सरल और स्पष्ट उत्तरों की सराहना की। उन्होंने आस्था के साथ-साथ मानवता का संदेश भी दिया।
सनातन संस्कृति का प्रचार
संत धीरेंद्र शास्त्री के इस दौरे का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रचार करना है। वे रामचरित, हिंदू परंपराओं, सेवा, योग और साधना के महत्व को साझा कर रहे हैं।
- सनातन धर्म का प्रचार
- भारतीय संस्कृति का प्रसार
- रामचरित का महत्व
सामाजिक सरोकार
धीरेंद्र शास्त्री धार्मिक आयोजनों के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं। वे कैंसर हॉस्पिटल, सेवा अभियान और गरीब कन्याओं के विवाह जैसे कार्यों में योगदान दे रहे हैं।
गतिविधि | विवरण |
---|---|
कैंसर हॉस्पिटल | सहायता प्रदान करना |
सेवा अभियान | गरीबों की मदद करना |
गरीब कन्या विवाह | विवाह में सहायता करना |
निष्कर्ष
धीरेंद्र शास्त्री का लंदन दौरा भारतीय आध्यात्मिक विरासत को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। ब्रिटिश संसद में हनुमान चालीसा का पाठ एक महत्वपूर्ण घटना है जो दर्शाती है कि भारतीय संस्कृति अब सीमाओं से परे एक सार्वभौमिक पहचान बन रही है।
यह दौरा न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह विभिन्न समुदायों के बीच संवाद को बढ़ावा देता है और सनातन धर्म के मूल्यों को विश्व स्तर पर प्रसारित करता है।