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दादाजी धाम: जहां हर भक्त पाता है आशीष – खंडवा

July 10, 2025 by Vivek Rakshit

खंडवा: आस्था और सेवा का अद्भुत संगम

मध्य प्रदेश का खंडवा शहर इन दिनों आस्था और सेवा का एक अनूठा मिलन स्थल बन गया है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर, दादाजी धूनीवाले की समाधि पर दो दिनों में लगभग 6 से 7 लाख श्रद्धालु पहुंचे। इस विशेष अवसर पर, पूरे शहर ने स्वयं को ‘सेवाग्राम’ में बदल दिया, जो लाखों भक्तों की सेवा के लिए तत्पर था।

हर गली, हर मोड़ पर सेवा का भाव

गुरु पूर्णिमा से कुछ दिन पहले ही, खंडवा शहर पूरी तरह से सज-धज कर तैयार हो गया था। हर चौराहे, गली और मंदिर के आसपास टेंट लगाए गए थे, जिनमें खाने-पीने से लेकर आराम करने तक की सभी सुविधाएं उपलब्ध थीं। पूरा शहर तन, मन और धन से भक्तों की सेवा में जुटा हुआ था। 50 से 100 किलोमीटर दूर तक, खंडवा आने वाले रास्तों पर भी श्रद्धालुओं के लिए खाने-पीने के स्टॉल लगाए गए थे। पूरी-सब्जी, हलवा, मालपुए, भजिए, समोसे, इडली-सांभर, जलेबी और ड्राई फ्रूट्स जैसे विभिन्न प्रकार के व्यंजन श्रद्धा के साथ परोसे गए।

दादाजी की सेवा परंपरा

दादाजी धूनीवाले की सेवा परंपरा 1930 से चल रही है, जब उन्होंने खंडवा में समाधि ली थी। उनके जीवन में सेवा, त्याग और ज्ञान की जो भावना थी, वही आज इस पूरे आयोजन में दिखाई देती है। दादाजी जहाँ भी रुकते थे, वहाँ भक्तों को रोट (मोटी रोटी) की प्रसादी मिलती थी, और आज भी यह परंपरा उसी श्रद्धा से निभाई जा रही है। भक्तों को न केवल रोट और भस्म मिलती है, बल्कि पंचामृत से अभिषेक कर प्रसादी दी जाती है, जिसमें दूध, दही, शहद, गंगाजल और नर्मदा जल होता है।

निशान यात्रा और संकीर्तन से गूंजा खंडवा

गुरु पूर्णिमा से एक पूर्णिमा पहले ही, कई श्रद्धालु महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के अन्य जिलों से निशान लेकर पैदल यात्रा पर निकल पड़ते हैं। रास्ते भर संकीर्तन करते हुए ये भक्त खंडवा पहुँचते हैं। यह कोई आम यात्रा नहीं, बल्कि श्रद्धा की मिसाल होती है। दादाजी भक्त लव जोशी बताते हैं कि इस सेवा परंपरा को शुरू हुए 30-40 साल हो चुके हैं। अब तो हालत यह है कि लोग दूर-दराज से आकर भी सिर्फ सेवा में जुट जाते हैं।

सेवा में आगे बढ़ते शहरवासी और संस्थाएं

ऑटो चालक, ट्रक ड्राइवर, होटल वाले, हर कोई अपनी तरह से सेवा में लगा रहता है। कोई मुफ्त में सवारी करवाता है, कोई भोजन बांटता है, कोई पानी पिलाता है। कई सेवाभावी संस्थाएं तो हेल्थ कैंप लगाकर मुफ्त इलाज तक करवा रही हैं। नगर निगम, जिला प्रशासन और समाजसेवी संस्थाएं भी सफाई, ट्रैफिक और पॉलिथिन रोकथाम जैसे कामों में दिन-रात लगे रहते हैं। टेंट और भोजन वितरण की तैयारी 1 महीने पहले ही शुरू हो जाती है।

आस्था और सेवा का अनूठा उदाहरण

गुरु पूर्णिमा पर जब बाकी जगहों पर सिर्फ पूजा-पाठ होता है, वहीं खंडवा में पूजा के साथ सेवा को भी धर्म माना जाता है। यहाँ हर व्यक्ति खुद को दादाजी का सेवक मानता है, और यही इस आयोजन की सबसे बड़ी खासियत है। दादाजी के भक्त कहते हैं कि यहां जो भी आता है, वो खाली नहीं जाता। सेवा करता है या सेवा पाता है, लेकिन दादाजी की कृपा से भर जाता है। खंडवा की यह सेवा परंपरा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि मानवता और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक बन चुकी है। गुरु पूर्णिमा के बहाने यहां जो प्रेम और अपनापन देखने को मिलता है, वो हर किसी के दिल को छू जाता है।

सुविधाविवरण
भोजनपूरी-सब्जी, हलवा, मालपुए, भजिए, समोसे, इडली-सांभर, जलेबी, ड्राई फ्रूट्स
जलशुद्ध पेयजल की व्यवस्था
आवासअस्थायी टेंट में आराम करने की सुविधा
स्वास्थ्यनि:शुल्क हेल्थ कैंप
परिवहननि:शुल्क सवारी

दादाजी धाम की महिमा

दादाजी का इतिहास

दादाजी धूनीवाले, जिन्हें केशवानंद महाराज के नाम से भी जाना जाता है, 20वीं सदी के एक महान संत थे। उन्होंने अपना जीवन मानव सेवा और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रसार में समर्पित कर दिया। उनकी शिक्षाओं का मूल तत्व प्रेम, करुणा और निस्वार्थ सेवा है। दादाजी ने खंडवा को अपनी कर्मभूमि बनाया और यहीं पर उन्होंने अपनी समाधि ली। आज भी, उनके भक्त देश-विदेश से खंडवा आते हैं और उनकी समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

दादाजी धाम की विशेषता

दादाजी धाम खंडवा में स्थित एक पवित्र स्थान है। यह दादाजी धूनीवाले की समाधि स्थल है और लाखों भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। दादाजी धाम में हर साल गुरु पूर्णिमा के अवसर पर एक विशाल मेला लगता है, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस मेले में, भक्तों को नि:शुल्क भोजन, आवास और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं। दादाजी धाम एक ऐसा स्थान है जहाँ हर कोई शांति, प्रेम और आध्यात्मिकता का अनुभव कर सकता है।

दादाजी के चमत्कार

दादाजी के जीवनकाल में, उन्होंने कई चमत्कार किए। उन्होंने बीमारों को ठीक किया, गरीबों की मदद की और लोगों को सही मार्ग दिखाया। उनके भक्त मानते हैं कि दादाजी आज भी सूक्ष्म रूप से इस स्थान पर मौजूद हैं और उनकी प्रार्थनाओं का जवाब देते हैं। दादाजी धाम में, भक्तों को अक्सर चमत्कारिक अनुभव होते हैं, जैसे कि बीमारियों से मुक्ति, समस्याओं का समाधान और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति।

खंडवा: एक सेवाग्राम

शहर का समर्पण

खंडवा शहर गुरु पूर्णिमा के दौरान एक सेवाग्राम में परिवर्तित हो जाता है। शहर के हर नागरिक, चाहे वह अमीर हो या गरीब, हर कोई अपनी क्षमता के अनुसार भक्तों की सेवा में जुट जाता है। कोई भोजन बनाता है, कोई पानी पिलाता है, कोई आवास प्रदान करता है, तो कोई स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है। इस दौरान, शहर में एक अद्भुत माहौल होता है, जहाँ हर कोई प्रेम, करुणा और निस्वार्थ सेवा की भावना से प्रेरित होता है।

सेवा का महत्व

दादाजी धूनीवाले ने हमेशा सेवा को सबसे बड़ा धर्म माना है। उन्होंने कहा कि सेवा करने से अहंकार दूर होता है, मन शांत होता है और आत्मा शुद्ध होती है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर, खंडवा के लोग दादाजी के इस संदेश को साकार करते हैं और निस्वार्थ भाव से भक्तों की सेवा करते हैं। उनकी सेवा का फल उन्हें अवश्य मिलता है, क्योंकि सेवा करने से उन्हें आंतरिक शांति और आनंद की प्राप्ति होती है।

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