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पायजामा का अर्थ क्या है? | रोचक तथ्य और इतिहास

पायजामा: इतिहास और रोचक तथ्य

पायजामा, जिसे आज हम रात में सोने के लिए पहनते हैं, वास्तव में इसकी शुरुआत किसी और रूप में हुई थी। यह शब्द हिंदी/उर्दू से आया है, जिसका मूल फ़ारसी भाषा में है। फ़ारसी में “पाय” का अर्थ “पैर” और “जामा” का अर्थ “कपड़ा” होता है, यानी पायजामा का मतलब हुआ “पैरों का वस्त्र”।

पायजामा का सफर

कपड़ों में सालों से बदलाव आए, लेकिन पायजामा हमेशा से पहना जा रहा है। आज लोग इसे घर और बाहर दोनों जगह आराम से पहनते हैं। नाइट ड्रेस के रूप में यह बहुत लोकप्रिय है, और लोग इसे शादियों और पारंपरिक अवसरों पर भी पहनते हैं। कई युवा “पायजामा पार्टी” भी करते हैं।

पायजामा का इतिहास

यह परिधान मूल रूप से ढीले-ढाले कपड़े होते थे, जो आमतौर पर सूती या रेशमी कपड़े से बनाए जाते थे और कमर पर डोरी से बंधते थे। ये कपड़े भारत और मध्य एशिया के पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा पहने जाते थे। विशेष बात यह थी कि ये सिलाई वाले कपड़े होते थे, जबकि उस समय दक्षिण एशिया में प्रचलित कपड़े अधिकतर बिना सिलाई के लपेटे या ओढ़े जाते थे।

पायजामा का पश्चिमी देशों में आगमन

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, एशिया में रहने वाले यूरोपीय लोगों ने न सिर्फ़ इस परिधान को अपनाया, बल्कि इसका नाम भी साथ ही ले गए। 1610 में गोवा में बसे पुर्तगाली लोग बिना पायजामा पहने सोते ही नहीं थे। 17वीं सदी में इंग्लैंड में इसे “मुगल ब्रेचेस” नाम से लाउंज वियर के रूप में जाना गया, हालाँकि यह फैशन ज्यादा समय तक नहीं टिका।

अंग्रेजी में पहली बार 1801 में इस शब्द का उल्लेख हुआ, जब टीपू सुल्तान की अलमारी में “पायजामा या ड्रॉअर्स” का जिक्र किया गया। 1854 तक, ब्रिटिश भारत का दौरा करने वालों को सलाह दी जाती थी कि वे दोपहर की झपकी के लिए पायजामा पहनें, जैसा अधिकांश यूरोपीय करते थे।

पायजामा: विक्टोरियन युग और आधुनिक फैशन

1870 के आसपास, इंग्लैंड और यूरोप में विक्टोरियन युग के दौरान, पुरुषों के पारंपरिक नाइटड्रेस की जगह पायजामा ने लेना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे यह पुरुषों के सोने के कपड़े के रूप में स्थायी रूप से स्थापित हो गया।

पायजामा शब्द का कई तरह से प्रयोग हुआ, जैसे PJs (संक्षिप्त रूप), जैमिज़ (jammies), और जिम-जैम्स (jim-jams)।

20वीं सदी की फैशन आइकन कोको शनेल ने इसे बीच से जुड़े लाउंजवियर के रूप में पहचाना और 1920 के दशक में “बीच पायजामा” की शुरुआत की। इसके बाद, 2000 के दशक में भी फैशन की दुनिया में पायजामा ने एक बार फिर वापसी की और “स्लीपवियर ऐज़ स्ट्रीटवियर” की अवधारणा उभर कर सामने आई।

पायजामा: आज

आज पायजामा सिर्फ़ सोने का कपड़ा नहीं है, बल्कि फैशन का भी हिस्सा है। इसे विभिन्न डिज़ाइन और फैब्रिक में बनाया जाता है और हर उम्र के लोग इसे पहनते हैं।

पायजामा के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

  • पायजामा शब्द फ़ारसी भाषा से आया है।
  • पायजामा मूल रूप से पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा पहना जाता था।
  • पायजामा 17वीं सदी में इंग्लैंड में लोकप्रिय हुआ।
  • पायजामा आज भी फैशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
विशेषता विवरण
उत्पत्ति फ़ारसी
अर्थ पैरों का वस्त्र
उपयोग सोने के कपड़े, लाउंजवियर, फैशन
लोकप्रियता विश्वव्यापी

निष्कर्ष

पायजामा का इतिहास बहुत रोचक है। यह एक ऐसा परिधान है जो समय के साथ बदलता रहा है और आज भी लोकप्रिय है।

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