बुरहानपुर: अनोखी शादी, दूल्हा-दुल्हन की धुनाई!

बुरहानपुर की अनोखी शादी परंपरा: दूल्हा-दुल्हन की धुनाई
मध्य प्रदेश अपने सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है, और बुरहानपुर जिले में गुर्जर साली सकल पंच समाज की एक अनोखी परंपरा है जो सबका ध्यान आकर्षित करती है। यहाँ, शादी के बाद दूल्हा और दुल्हन की हल्दी लगी साड़ी से धुनाई की जाती है! यह परंपरा अटपटी जरूर है, लेकिन इसे आशीर्वाद और प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
परंपरा की शुरुआत और महत्व
यह परंपरा सदियों पुरानी है और आज भी समाज में इसका पालन किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से नवविवाहित जोड़े को बुरी नजर से बचाया जा सकता है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह रस्म दूल्हा-दुल्हन के बीच प्यार और समझ को भी मजबूत करती है।
रस्म का विवरण
शादी के बाद, जब दूल्हा दुल्हन को अपने घर लाता है, तो समाज की महिलाएं इकट्ठा होती हैं। वे हल्दी लगी साड़ियों को लट्ठे की तरह बनाती हैं और फिर दूल्हा और दुल्हन को बारी-बारी से पीटती हैं। इस दौरान हंसी-मजाक का माहौल बना रहता है और लोग पारंपरिक गीत गाते हैं।
कौन करता है धुनाई?
आमतौर पर, परिवार की बुजुर्ग महिलाएं और दुल्हन की भाभी यह रस्म निभाती हैं। वे दूल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद देती हैं और उनके सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।
दूल्हा-दुल्हन की प्रतिक्रिया
दूल्हा और दुल्हन इस धुनाई को बुरा नहीं मानते, बल्कि इसे एक रस्म के तौर पर खुशी-खुशी स्वीकार करते हैं। वे मानते हैं कि यह उनके लिए आशीर्वाद है और इससे उनका रिश्ता मजबूत होगा।
रस्म में शामिल होने वाले लोग
इस अनोखी रस्म को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। समाज के लोग ही नहीं, बल्कि अन्य समुदाय के लोग भी इस परंपरा का आनंद लेते हैं। यह रस्म बुरहानपुर की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है।
समाज के अध्यक्ष का दृष्टिकोण
गुर्जर साली सकल पंच समाज के अध्यक्ष राजेंद्र जरीवाला का कहना है कि यह परंपरा उनके समाज की पहचान है और वे इसे आगे भी जारी रखेंगे। उनका मानना है कि ऐसी परंपराएं समाज को एकजुट रखती हैं और नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़ती हैं।
परंपरा का आधुनिक रूप
हालांकि यह परंपरा सदियों पुरानी है, लेकिन आज भी इसका महत्व बना हुआ है। कुछ लोग इसे आधुनिक तरीके से भी मनाते हैं, जिसमें साड़ियों की जगह फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन, मूल भावना वही रहती है – नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देना और उनके जीवन में खुशियां लाना।
बुरहानपुर की संस्कृति का अनूठा रंग
यह अनोखी शादी परंपरा बुरहानपुर की संस्कृति का एक अनूठा रंग है। यह दिखाती है कि कैसे एक छोटा सा समुदाय अपनी परंपराओं को जीवित रखता है और उन्हें आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाता है। यह परंपरा न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह समाज को एकजुट रखने और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
विशेषता | विवरण |
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परंपरा का नाम | दूल्हा-दुल्हन की धुनाई |
स्थान | बुरहानपुर, मध्य प्रदेश |
समाज | गुर्जर साली सकल पंच समाज |
उद्देश्य | नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देना और बुरी नजर से बचाना |
रस्म | हल्दी लगी साड़ियों से दूल्हा-दुल्हन की धुनाई |
यह परंपरा बुरहानपुर को एक विशेष पहचान दिलाती है और इसे पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षक गंतव्य बनाती है।