सीहोर: नकली बीज से फसल बर्बाद, किसान बेहाल!

सीहोर में फसल बर्बादी: नकली बीज और जहरीली दवाओं का कहर
सीहोर के किसान नकली बीज और जहरीली दवाओं के कारण अपनी फसलें खो रहे हैं, जिससे वे खून के आंसू रो रहे हैं। प्रशासन की चुप्पी ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। किसानों की मेहनत और पूंजी राख में बदल गई है, और वे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
किसानों की दुर्दशा
सीहोर, मध्य प्रदेश के एक प्रमुख कृषि जिले में, किसानों को एक विनाशकारी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। नकली बीज और जहरीली रासायनिक दवाओं के उपयोग ने उनकी फसलों को नष्ट कर दिया है, जिससे उनकी साल भर की मेहनत और निवेश बर्बाद हो गए हैं।
- किसान अब अपनी आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
- कई किसान कर्ज में डूब गए हैं।
- प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
बुवाई हुई पूरी, लेकिन फसल नहीं बची
कृषि विभाग ने खरीफ सीजन में 3 लाख 27 हजार हेक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य रखा था, जिसे किसानों ने पूरा कर दिया था। सोयाबीन और अन्य फसलें खेतों में अंकुरित होने लगी थीं, लेकिन नकली दवाओं ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
नकली दवाओं का असर
किसानों ने जब अंकुरण बढ़ाने के लिए बाजार से रासायनिक दवाओं का छिड़काव किया, तो सोयाबीन की फसल जलने लगी। कई जगहों पर सरकारी बीज भी नकली निकले, जिससे फसलें उगने से पहले ही खत्म हो गईं।
किसानों की आपबीती
किसान एम.एस. मेवाड़ा, कैलाश मेवाड़ा, बाबूलाल मेवाड़ा और राकेश मेवाड़ा जैसे दर्जनों लोगों ने बताया कि उन्होंने शासन की योजना पर भरोसा कर बीज और दवाएं खरीदीं, लेकिन अब उनकी हालत ऐसी है कि घर चलाना भी मुश्किल हो गया है।
> एक किसान ने आंसू रोकते हुए कहा, “बीज भी नकली, दवा भी नकली… अब पूछने वाला कोई नहीं।”
प्रशासन की चुप्पी
किसानों की लगातार शिकायतों के बावजूद जिम्मेदार अफसर कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए हैं। सहायक संचालक मिनी चौकसे ने कहा कि सैंपल भेजे गए हैं, रिपोर्ट का इंतजार है। लेकिन किसानों का कहना है कि रिपोर्ट आए या न आए, फसल तो गई!
समस्या | विवरण | समाधान |
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नकली बीज | बाजार में नकली बीज की बिक्री | बीज विक्रेताओं पर सख्त कार्रवाई |
जहरीली दवाएं | फसलों को नुकसान पहुंचाने वाली जहरीली दवाएं | दवाओं की गुणवत्ता की जांच |
मुआवजा | फसल नुकसान के बाद मुआवजा | किसानों को उचित मुआवजा प्रदान करना |
जमीनी हकीकत
न्यूज़ 18 के सीहोर संवाददाता प्रदीप एस चौहान ने जब खेतों का दौरा किया तो झुलसी हुई फसलों और निराश बैठे किसानों की तस्वीरें सामने आईं। कई किसानों ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि सरकारी सिस्टम इतना कमजोर निकलेगा।
सवाल
- क्या किसानों को मुआवजा मिलेगा?
- क्या नकली बीज और दवा बेचने वालों पर कार्रवाई होगी?
- क्या प्रशासन सीधे ज़मीन पर उतरकर सच्चाई देखेगा?