टेक्नोलॉजी

भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल: ब्रह्मोस-2, चीन को जवाब!

भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल: ब्रह्मोस-2

भारत और रूस मिलकर ब्रह्मोस एयरोस्पेस में अगली पीढ़ी की मिसाइल, ब्रह्मोस-2 पर काम कर रहे हैं. यह मिसाइल वर्तमान ब्रह्मोस से तीन गुना तेज होगी और चीन की DF-17 हाइपरसोनिक मिसाइल को टक्कर देगी. ब्रह्मोस-2 मैक 9 की गति से उड़ेगी, जो लगभग 11,000 किलोमीटर प्रति घंटा है. इस गति से, यह एक मिनट से भी कम समय में लक्ष्य तक पहुंच सकती है, जो भारत की रक्षा के लिए एक शक्तिशाली हथियार साबित होगी.

हाइपरसोनिक स्पीड और रडार से बचाव

ब्रह्मोस-2 मिसाइल में स्क्रैमजेट इंजन होगा, जो इसे तेज गति से लंबी दूरी तक उड़ने में मदद करेगा. यह मिसाइल हवा से ऑक्सीजन का उपयोग करेगी, जिससे इसे अतिरिक्त ईंधन की आवश्यकता नहीं होगी. यह इसे हल्का और अधिक कुशल बनाएगा. इसकी गतिशीलता और रडार से बचने की क्षमता इसे और भी खतरनाक बनाती है.

  • स्क्रैमजेट इंजन का उपयोग
  • हवा से ऑक्सीजन का उपयोग
  • हल्का और कुशल

स्मार्ट डिजाइन और स्टेल्थ क्षमता

यह मिसाइल न केवल तेज है, बल्कि बहुत स्मार्ट भी है. यह जमीन के करीब उड़ सकती है और तेजी से मुड़ सकती है, जिससे दुश्मन के रडार सिस्टम से बचना आसान हो जाएगा. इस मिसाइल को ट्रैक करना या रोकना बहुत मुश्किल होगा. इसकी स्मार्ट डिजाइन, स्टेल्थ फीचर्स और उन्नत नियंत्रण प्रणाली इसे हमले के दौरान बड़ी बढ़त दिलाते हैं.

मुख्य विशेषताएं:

  • जमीन के करीब उड़ान
  • तेजी से मुड़ने की क्षमता
  • दुश्मन के रडार से बचाव

ब्रह्मोस-2: भारत का पलड़ा भारी

चीन की DF-17 हाइपरसोनिक मिसाइल अपनी गति और ताकत के लिए जानी जाती है, लेकिन भारत का नया ब्रह्मोस-2 इसे भी पीछे छोड़ सकता है. यह मिसाइल 1,500 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकती है और इसे जमीन, समुद्र या हवा से लॉन्च किया जा सकता है, जिससे यह विभिन्न प्रकार की लड़ाइयों में उपयोगी साबित हो सकती है. ब्रह्मोस-2 की बहुमुखी प्रतिभा इसे एक गेम-चेंजर बनाती है.

तकनीकी विशिष्टताएँ

विशेषता विवरण
गति मैक 9 (लगभग 11,000 किमी/घंटा)
रेंज 1,500 किमी
लॉन्च प्लेटफॉर्म जमीन, समुद्र, हवा
वारहेड पारंपरिक और परमाणु

दक्षिण एशिया पर प्रभाव

दक्षिण एशिया में बढ़ते तनाव के बीच, यह मिसाइल भारत को एक मजबूत बढ़त दे सकती है और क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकती है. ब्रह्मोस-2 की तैनाती से भारत की रक्षा क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी.

परीक्षण और आगे की राह

यह नया मिसाइल भारत के DRDO और रूस के NPO माशिनोस्त्रोयेनिया द्वारा मिलकर विकसित किया जा रहा है. नवीनतम अपडेट के अनुसार, ब्रह्मोस-2 का परीक्षण शुरू हो चुका है. ब्रह्मोस-2 का एक बड़ा फायदा यह है कि यह पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के वारहेड ले जा सकता है. इससे यह छोटे और बड़े पैमाने के सैन्य अभियानों के लिए उपयोगी हो जाता है.

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