‘पिता का पैसा डुबा दिया’, 75 फीसदी शूटिंग के बाद डिप्रेशन में आया डायरेक्टर, 1 दांव से हिट हुई मूवी

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Jo Jeeta Wohi Sikandar Movie Trivia: ‘जो जीता वही सिकंदर’ यादगार फिल्म है, जिससे आमिर खान बेहद लोकप्रिय हो गए थे. लेकिन क्या आप जानते हैं फिल्ममेकर इसे मशहूर मॉडल के साथ 75 फीसदी शूट कर चुके थे. फिल्म को अचानक क्यों रोक दिया गया था, इसका जवाब फिल्म के विलेन दीपक तिजोरी ने बताया है.

नई दिल्ली: दीपक तिजोरी ने ‘जो जीता वही सिकंदर’ में अहम किरदार निभाया था. लोगों ने उन्हें काफी पसंद किया. वे निगेटिव रोल में थे, लेकिन उन्होंने लीड रोल के लिए भी ऑडिशन दिया था. ऑडिशन देने के बाद भी उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था और लीड रोल मिलिंद सोमन को दे दिया गया. (फोटो साभार: IMDb)

आमिर खान की फिल्म ‘जो जीता वही सिकंदर’ हिंदी सिनेमा की यादगार क्लासिक्स में से एक है. बहुत कम लोग जानते हैं कि निर्देशक मंसूर खान ने इस पर एक बार काम करना बंद कर दिया था. दरअसल, उन्हें लगा था कि उन्होंने लीड रोल में गलत अभिनेता को कास्ट कर लिया था. (फोटो साभार: IMDb)

दीपक तिजोरी ने एक बातचीत के दौरान बताया कि वे शेखर मल्होत्रा के रोल के लिए पहली पसंद नहीं थे. उन्होंने बताया कि ऑडिशन देने के बावजूद उन्हें शुरुआत में रिजेक्ट कर दिया गया था और किरदार मिलिंद सोमन को दिया गया था. उन्होंने बॉलीवुड बबल को बताया, ‘मिलिंद फिल्म कर रहे थे. मैंने इसके लिए ऑडिशन दिया था, लेकिन मुझे रिजेक्ट कर दिया गया. मैं निराश था क्योंकि मुझे अच्छा परफॉर्म करने के बावजूद रिजेक्ट कर दिया गया था. फिर मैं आगे बढ़ा और शुक्र है, मेरी फिल्म ‘आशिकी’ (1990) सफल रही.’ (फोटो साभार: IMDb)

दीपक ने बताया कि ‘जो जीता वही सिकंदर’ मिलिंद के साथ 75 प्रतिशत शूट होने के बाद मेकर्स ने महसूस किया कि वह भूमिका के लिए सही नहीं थे. उन्होंने कहा, ‘मुझे सुनने में आता था कि ‘जो जीता वही सिकंदर’ के सेट पर कुछ समस्या चल रही थी. लेकिन चूंकि मैं फिल्म से जुड़ा नहीं था, मैंने ध्यान नहीं दिया. मैं आगे बढ़ा ‘आशिकी’ और ‘सड़क’ (1991) खत्म की.’ (फोटो साभार: IMDb)

‘जो जीता वही सिकंदर’ से रिजेक्ट होने के बाद महेश भट्ट दीपक के लिए एक वरदान साबित हुए और उन्हें अपनी फिल्मों ‘आशिकी’ और ‘सड़क’ में कास्ट किया. महेश भट्ट ने दीपक को ‘जो जीता वही सिकंदर’ को एक और मौका देने के लिए प्रेरित किया. (फोटो साभार: IMDb)

दीपक ने याद करते हुए कहा, ‘महेश भट्ट ने मुझे मंसूर खान से मिलने के लिए कहा. मैंने मना कर दिया. आप जानते हैं कि वह कैसे गालियां देते हैं. यह उनका प्यार और स्नेह है. मैंने मंसूर से मिलने के लिए सहमति दी और वहां मुझे नासिर हुसैन साहब से मिलने का मौका मिला.’ (फोटो साभार: IMDb)

नासिर हुसैन के जोर देने पर दीपक ने फिल्म करने के लिए सहमति दी. वे बोले, ‘नासिर साहब ने मुझसे कहा कि आपको यह करना है और मैंने कहा-हुकुम. मैं बस यह पक्का करना चाहता था कि उन्होंने मिलिंद को इसके बारे में सूचित किया है. नासिर साहब ने मुझे भरोसा दिलाया.’ (फोटो साभार: IMDb)

दीपक ने आखिर कहा, ‘मुझे फिल्म की 30वीं एनीवर्सरी पर कुछ पता चला. आमिर और मंसूर ने मुझे बताया कि फिल्म बंद हो गई थी और मंसूर डिप्रेशन में थे, क्योंकि उन्हें लगा कि उन्होंने अपने पिता का सारा पैसा बर्बाद कर दिया है. फिल्म को मेरे आने के बाद फिर से शुरू किया गया.’ (फोटो साभार: IMDb)