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महाराष्ट्र में हिंदी-मराठी भाषा विवाद पर आर. माधवन की राय.

इस वक्त महाराष्ट्र में एक बार फिर भाषा का विवाद चरम पर है. अब तक अजय देवगन से लेकर शिल्पा शेट्टी समेत तमाम सितारे मराठी vs हिंदी को लेकर रिएक्ट कर चुके हैं. अब इसी बीच मशहूर अभिनेता आर. माधवन ने हिंदी-मराठी भाषा को लेकर चल रहे विवाद के बीच अपनी राय जाहिर की. एक्टर ने बताया कि उन्हें कभी भी भारत में भाषा की वजह से कोई परेशानी नहीं हुई.

माधवन ने बताया कि उन्होंने भारत के अलग-अलग राज्यों और संस्कृतियों में रहकर देखा है, लेकिन भाषा कभी उनकी जिंदगी या काम में रुकावट नहीं बनी. जब उनसे भारत में चल रहे भाषा और क्षेत्रीय मतभेदों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें कभी भी भाषा की वजह से कोई दिक्कत नहीं हुई.

भाषा को लेकर क्या बोले माधवन
बातचीत में माधवन ने कहा, ”नहीं, मुझे कभी भाषा की वजह से कोई परेशानी नहीं हुई. मैं तमिल बोलता हूं, हिंदी भी बोलता हूं. मैंने कोल्हापुर में भी पढ़ाई की है और मराठी भी सीखी है. इसलिए मुझे कभी भाषा की वजह से कोई दिक्कत नहीं हुई, चाहे मैं भाषा जानता हूं या नहीं.”

क्या हुआ है महाराष्ट्र में
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने अपने सरकारी प्राइमरी स्कूलों में मराठी और इंग्लिश के अलावा हिंदी को तीसरी भाषा के तौर पर पढ़ाने का आदेश दिया था. यह कदम देश की तीन-भाषा नीति के तहत लिया गया था, जिसका मकसद बच्चों को स्कूल में तीन भाषाएं सिखाना है. लेकिन इस मुद्दे का राजनीतिकरण हुआ, जब शिवसेना (यूबीटी) और मनसे ने इसे मराठी अस्मिता पर प्रहार बताया.

फिर इस तरह बढ़ गया मामला
मामले ने तब तूल पकड़ा जब सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो सामने आए जिनमें महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कुछ कार्यकर्ता गैर-मराठी बोलने वालों को निशाना बनाते दिखाए गए. इससे विवाद और ज्यादा गरमाया.

इन सितारों ने किया रिक्ट
हाल ही में, फिल्म ‘सन ऑफ सरदार 2’ के ट्रेलर लॉन्च पर जब अजय देवगन से हिंदी-मराठी भाषा विवाद पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने ‘सिंघम’ वाले अंदाज में कहा, ‘आता माझी सटकली.’ माधवन और अजय के अलावा, सिंगर उदित नारायण ने भी इस विवाद पर प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा कि हमें हर क्षेत्र की भाषा और संस्कृति का सम्मान करना चाहिए. उदित नारायण ने कहा, ”हम महाराष्ट्र में रहते हैं और यही मेरी कर्मभूमि है. इसलिए यहां की भाषा भी बहुत जरूरी है. साथ ही, हमारे देश की सभी भाषाओं को समान मान्यता मिलनी चाहिए.”

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