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गुरुदत्त की ‘प्यासा’: कहानी और दिलीप कुमार का रोल

July 10, 2025 by Vivek Rakshit

गुरुदत्त की ‘प्यासा’: एक क्लासिक का जन्म

साल 1957 में रिलीज हुई गुरुदत्त की फिल्म ‘प्यासा’ भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर है। इस फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल की, बल्कि कलात्मक और भावनात्मक गहराई के लिए भी सराही गई। ‘प्यासा’ एक संघर्षरत कवि, विजय की कहानी है, जो समाज की क्रूर वास्तविकताओं और भौतिकवादी दुनिया में अपनी पहचान खोजने के लिए संघर्ष करता है। फिल्म में वहीदा रहमान और गुरुदत्त ने मुख्य भूमिकाएँ निभाईं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस फिल्म के लिए पहली पसंद दिलीप कुमार थे?

दिलीप कुमार का इनकार और गुरुदत्त का उदय

दिलीप कुमार उस समय हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े सितारों में से एक थे। उनकी उपस्थिति किसी भी फिल्म की सफलता की गारंटी मानी जाती थी। हालांकि, कुछ कारणों से, दिलीप कुमार ‘प्यासा’ में काम नहीं कर पाए। यह गुरुदत्त के लिए एक अवसर था, जिन्होंने न केवल फिल्म का निर्देशन किया, बल्कि मुख्य भूमिका भी निभाई। गुरुदत्त का यह निर्णय उनके करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।

फिल्म की कहानी

‘प्यासा’ की कहानी विजय नामक एक कवि के जीवन पर आधारित है, जो अपनी कविताओं के माध्यम से समाज की विसंगतियों को उजागर करता है। विजय को समाज में कोई सम्मान नहीं मिलता और उसे अपनी कविताओं को प्रकाशित करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। फिल्म में विजय की मुलाकात गुलाबो नामक एक वेश्या से होती है, जो उसकी कविताओं को समझती है और उसे प्रोत्साहित करती है।

  • विजय और गुलाबो का रिश्ता फिल्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • यह रिश्ता समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों के बीच सहानुभूति और समझ को दर्शाता है।

रेड लाइट एरिया में शूटिंग और विवाद

‘प्यासा’ के कुछ दृश्य और एक प्रसिद्ध गाना, “जाने क्या तूने कही”, कोलकाता के रेड लाइट एरिया में शूट किए गए थे। गुरुदत्त वास्तविकता को पर्दे पर उतारना चाहते थे, इसलिए उन्होंने वास्तविक स्थान पर शूटिंग करने का फैसला किया। हालांकि, यह फैसला विवादास्पद साबित हुआ।

दलालों का हमला

रेड लाइट एरिया में शूटिंग के दौरान, गुरुदत्त की टीम पर स्थानीय दलालों ने हमला कर दिया। उन्हें लगा कि फिल्म की शूटिंग उनकी दुनिया में दखल दे रही है। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि टीम को वहां से भागना पड़ा।

  • यह घटना दिखाती है कि गुरुदत्त अपनी कला के प्रति कितने समर्पित थे।
  • उन्होंने वास्तविकता को पर्दे पर लाने के लिए जोखिम उठाने से भी परहेज नहीं किया।

‘प्यासा’ का प्रभाव

‘प्यासा’ भारतीय सिनेमा की सबसे प्रभावशाली फिल्मों में से एक है। फिल्म ने सामाजिक मुद्दों को उठाने और मानवीय भावनाओं को गहराई से चित्रित करने के लिए एक नया मानदंड स्थापित किया।

पहलूविवरण
कहानीएक कवि का संघर्ष
निर्देशनगुरुदत्त
संगीतएस. डी. बर्मन
मुख्य कलाकारगुरुदत्त, वहीदा रहमान

‘प्यासा’ आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा है और यह भारतीय सिनेमा के इतिहास में हमेशा एक महत्वपूर्ण स्थान रखेगी।

Filed Under: मनोरंजन

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