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इलेक्ट्रिक चिता: अंतिम संस्कार का डरावना सच!

July 9, 2025 by Vivek Rakshit

इलेक्ट्रिक चिता का खौफनाक सच: अंतिम संस्कार की आधुनिक प्रक्रिया

अपनों को खोने का दुःख बहुत गहरा होता है, और मृत्यु एक अटल सत्य है. इसके बाद शुरू होती है अंतिम संस्कार की प्रक्रिया, जो हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है. पहले, शवों को लकड़ी की चिता पर जलाया जाता था, लेकिन अब पर्यावरण संरक्षण और लकड़ी की कमी के कारण इलेक्ट्रिक शवदाह गृहों का उपयोग बढ़ गया है. इस आधुनिक तकनीक से जुड़ी कुछ बातें लोगों को डराती हैं.

इलेक्ट्रिक चिता में ‘जिंदा’ होने का भ्रम

यह माना जाता है कि इलेक्ट्रिक मशीन में शव को जलाते समय शरीर में हलचल होती है और आवाजें आती हैं, जिससे लगता है कि लाश ‘जिंदा’ हो रही है. वास्तव में, इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में शव को उच्च तापमान (800-1000 डिग्री सेल्सियस) पर जलाया जाता है. यह प्रक्रिया लकड़ी की चिता से तेज और पर्यावरण के लिए कम हानिकारक है. हालांकि, इस दौरान कुछ घटनाएं होती हैं जो लोगों में डर पैदा करती हैं.

  • मांसपेशियों का संकुचन: विशेषज्ञों के अनुसार, जब शव को भट्टी में रखा जाता है, तो गर्मी के कारण शरीर की मांसपेशियों और ऊतकों में संकुचन होता है. इससे शरीर में हल्की हलचल या ऐंठन हो सकती है, जो देखने में ऐसा लगता है जैसे शव ‘उठकर बैठ रहा हो’.
  • गैसों का वाष्पीकरण: इसके अतिरिक्त, शरीर में मौजूद तरल पदार्थ और गैसें गर्मी के कारण वाष्पित होती हैं, जिससे फटने या सिसकने जैसी आवाजें निकलती हैं. ये आवाजें सुनकर लोग डर जाते हैं और यह मिथक फैलने लगता है कि शव ‘जिंदा’ हो गया.

इलेक्ट्रिक शवदाह गृह की प्रक्रिया

इलेक्ट्रिक शवदाह गृह की प्रक्रिया लकड़ी की चिता से थोड़ी अलग होती है. वायरल वीडियो में इस प्रक्रिया को समझाया गया है:

  • लकड़ी की चिता में शव पूरी तरह राख में बदल जाता है.
  • इलेक्ट्रिक भट्टी में, गर्मी से मांस जल जाता है और केवल हड्डियां बचती हैं.
  • इन हड्डियों को बाद में एक मशीन (Cremulator) में पीसकर पाउडर बनाया जाता है.
  • यह पाउडर ही अस्थि कलश में भरा जाता है, जिसे लोग राख समझते हैं.

इलेक्ट्रिक शवदाह गृह: फायदे और नुकसान

इलेक्ट्रिक शवदाह गृह के कई फायदे हैं, लेकिन कुछ नुकसान भी हैं:

फायदे:

  • पर्यावरण के अनुकूल: लकड़ी की चिता की तुलना में कम प्रदूषण होता है.
  • तेज प्रक्रिया: शव जल्दी जल जाता है.
  • लकड़ी की बचत: पेड़ों को कटने से बचाया जा सकता है.

नुकसान:

  • भय और भ्रम: शव के ‘जिंदा’ होने का डर.
  • उच्च लागत: लकड़ी की चिता से महंगा.
  • तकनीकी खराबी: मशीन में खराबी आ सकती है.

अंतिम संस्कार: एक महत्वपूर्ण संस्कार

अंतिम संस्कार हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण संस्कार है. यह माना जाता है कि इस प्रक्रिया से आत्मा को शांति मिलती है और वह अगले जन्म के लिए तैयार होती है. चाहे लकड़ी की चिता हो या इलेक्ट्रिक शवदाह गृह, महत्वपूर्ण यह है कि यह प्रक्रिया सम्मान और श्रद्धा के साथ की जाए.

पहलूलकड़ी की चिताइलेक्ट्रिक शवदाह गृह
पर्यावरणअधिक प्रदूषणकम प्रदूषण
समयअधिक समयकम समय
लागतकम लागतअधिक लागत
प्रक्रियापारंपरिकआधुनिक

मिथक और वास्तविकता

यह महत्वपूर्ण है कि हम अंतिम संस्कार से जुड़े मिथकों को दूर करें और वास्तविकता को समझें. इलेक्ट्रिक शवदाह गृह एक आधुनिक तकनीक है जो पर्यावरण के लिए बेहतर है. हमें डरने की बजाय इस तकनीक को समझना चाहिए और इसका सही उपयोग करना चाहिए।

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