
शोले के ठाकुर: संजीव कुमार का यादगार किरदार
1975 में रमेश सिप्पी द्वारा निर्देशित फिल्म ‘शोले’ भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर है। इस फिल्म के हर किरदार ने दर्शकों के दिलों में अपनी एक खास जगह बनाई, और उनमें से एक थे ठाकुर बलदेव सिंह, जिसे संजीव कुमार ने जीवंत किया था। संजीव कुमार ने अपने अभिनय से इस किरदार में ऐसी जान डाल दी कि आज भी लोग उन्हें ठाकुर के नाम से याद करते हैं।
ठाकुर का किरदार और संजीव कुमार की शिद्दत
संजीव कुमार एक ऐसे अभिनेता थे जो अपने किरदार को जीते थे। ‘शोले’ में ठाकुर का किरदार निभाते समय उन्होंने अपनी भावनाओं को इस तरह व्यक्त किया कि दर्शक भी उस दर्द को महसूस कर सके।
- संजीव कुमार का असली नाम हरिहर जेठालाल जरीवाला था।
- उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1960 में फिल्म ‘हम हिंदुस्तानी’ से की थी।
- ‘शोले’ में ठाकुर का किरदार उनके सबसे यादगार किरदारों में से एक है।
जावेद अख्तर का किस्सा
इस किरदार से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है, जिसे जावेद अख्तर ने अपनी किताब ‘शोले: द मेकिंग ऑफ क्लासिक’ में बताया है। फिल्म के आखिरी दिन एक ऐसा दृश्य फिल्माया जा रहा था जिसमें जय (अमिताभ बच्चन) की मौत के बाद ठाकुर की बहू राधा (जया बच्चन) बहुत दुखी होती है। इस दृश्य में संजीव कुमार इतने भावुक हो गए कि वे राधा को गले लगाने के लिए आगे बढ़े, लेकिन निर्देशक रमेश सिप्पी ने उन्हें याद दिलाया कि फिल्म में उनके हाथ नहीं हैं।
ठाकुर के किरदार की गहराई
यह किस्सा दिखाता है कि संजीव कुमार अपने किरदार को कितनी गहराई से जीते थे। उन्होंने ठाकुर के दर्द को महसूस किया और उसे पर्दे पर बखूबी व्यक्त किया।
संजीव कुमार: एक बेहतरीन अभिनेता
संजीव कुमार 70 और 80 के दशक के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं में से एक थे। उन्होंने ‘आंधी’, ‘मौसम’, ‘नमकीन’, ‘अंगूर’, ‘सत्यकाम’ जैसी कई यादगार फिल्मों में काम किया।
संजीव कुमार की कुछ यादगार फिल्में
यहां संजीव कुमार की कुछ बेहतरीन फिल्मों की एक तालिका दी गई है:
फिल्म | किरदार | वर्ष |
---|---|---|
शोले | ठाकुर बलदेव सिंह | 1975 |
आंधी | जे.के. | 1975 |
मौसम | डॉ. अमरनाथ | 1975 |
अंगूर | अशोक/विनोद | 1982 |
सत्यकाम | सत्यप्रिय आचार्य | 1969 |
निजी जीवन और अंधविश्वास
संजीव कुमार स्क्रीन पर आत्मविश्वास से भरे दिखते थे, लेकिन निजी जिंदगी में वे थोड़े अंधविश्वासी थे। वे अक्सर अपने दोस्तों से कहते थे कि वे 50 साल तक नहीं जी पाएंगे, क्योंकि उनके परिवार में पुरुषों की मौत कम उम्र में ही हो जाती है। उनका यह डर सच साबित हुआ और 6 नवंबर 1985 को 47 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
संजीव कुमार का अभिनय सफर छोटा जरूर था, लेकिन वे हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे।