भूपिंदर सिंह: राजेश खन्ना की फिल्म से मिली पहचान और संगीत का सफर.

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कैफी आजमी के गंभीर पर सहज बोल और खय्याम के संगीत को जब लरजती खनकती आवाज का साथ मिला तो खूबसूरत सा गाना तैयार हो गया. ये आवाज थी भूपिंदर सिंह की, जो पर्दे पर हाथ में गिटार लेकर क्लब में गाते भी नजर आते थे. उनकी …और पढ़ें

राजेश खन्ना की फिल्म से मिली पहचान
हाइलाइट्स
- भूपिंदर सिंह ने फिल्म ‘आखिरी खत’ से बड़ा मुकाम हासिल किया.
- भूपिंदर सिंह को संगीत से चिढ़ थी, बाद में गायक बने.
- भूपिंदर सिंह ने ‘दिल ढूंढता है’ जैसे अमर गाने दिए.
भूपिंदर की आवाज इस गीत में साफ सुनाई देती है और उसकी गहराई गीत की भावनाओं को और ज्यादा मजबूत बनाती है. इसी गीत ने उन्हें संगीतकारों और श्रोताओं के बीच पहचान दिलाई। वैसे अमृतसर में जन्मे भूपी कभी सिंगर या म्यूजिशियन बनने की ख्वाहिश नहीं रखते थे। इसका किस्सा भी दिलचस्प है। वो खुद ही कई इंटरव्यू में कहते थे कि पिता चूंकि खालसा कॉलेज अमृतसर में संगीत के प्रोफेसर थे इसलिए घर में माहौल भी संगीतमय था। पिताजी जी चाहते थे कि बेटा म्यूजिक सीखे, लेकिन वो ऐसा नहीं चाहते थे। खेलने में उनका मन ज्यादा रमता था.
राजेश खन्ना की फिल्म से मिली पहचान

हर गाने को बनाया अमर
भूपिंदर सिंह को संगीत से क्यों होने लगी थी चिढ़?
बचपन से किशोरावस्था की ओर बढ़ रहे भूपिंदर सिंह को सख्त मिजाज गुरु और अपने पिता नत्था सिंह के कठोर अनुशासन की वजह से संगीत से चिढ़ भी होने लगी थी. लेकिन बाद में उनको संगीत से ऐसा लगाव हुआ कि सांसों में एहसासों की खुशबू इस कदर घुल गई की उनकी आवाज का असर सदियों तक रहेगा.
अमर कर दिए कई गाने
‘दिल ढूंढता है फिर वही फुरसत के रात दिन’ के सिंगर भूपिंदर सिंह ने संगीत की दुनिया में अपनी सत्ता लगातार बनाए रखी. अपनी जवारीदार गंभीर आवाज और आवाज से मखमली एहसास पैदा करने वाले महान गायक भूपिंदर सिंह का जादू हमेशा सिर चढ़ कर बोलता रहेगा.